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Monday, February 18, 2008

A new line for you

Some new creations By me: vivek"Veeran"

पहले ये हाल था की गम हमें रुलाते थे
अब ये आलम है की हम गम को हंसा लेते हैं
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मेरी तकदीर में मालूम नहीं लिखा क्या है
हम तो बस ख्वाब देखते हैं सजा लेते हैं |
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हमको एहसास है लम्बी है डगर सूनी है
बस यही सोच कर रूठों को मना लेते हीं
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मेरे अश्कों की कीमत यूँ तो जाने क्या रही होगी
वो तेरी याद थी जो कौदियौं में बह गए सारे...
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अभी कुछ रोज पहले दोस्त थे हमराज थे मेरे
जरा सी रात क्या आई पराये हो गए सारे......
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बड़ी बेजार दुनिया है बड़ी मतलब परस्ती है
वफ़ा और दोस्ती बस नाम बन कर रह गए प्यारे...
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बड़ी मुदात से जिस लड़के को इस काबिल बनाया था
वो लड़के किस तरह रिशते भुला बैठे यहाँ सारे

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